24 APR 2017 JAL SAMPATTI DIWAS
PM Modi’s Mann ki Baat – 24th April 2016
Highlights from Narendra Modi’s Mann ki Baat on 24th April 2016:
- The PM begins his address by talking about the heat wave in several parts of the country and the related issue of water conservation.
- The PM refers to a village in Ahmednagar where people decided to change their cropping pattern and grow plants that don’t need much water .
- The PM says when the water table rises, the quality of water also improves. “Clean drinking water means better health and can actually lead to GDP.”
- Modi says it is imperative to conserve and store rain water in villages. “We must start a campaign to promote this. We need to become a change agent for cleanliness.”
- The PM says that news of good rainfall this monsoon is wonderful but it brings challenges as well. “We need to look into how to maximize crop productivity.”
- The PM says the Ganga is an essential water resource
- PM Modi talks about initiatives to clean the Ganga. “We will all have to be change agents for the cleaning of the Ganga. The government is making numerous efforts.”
- The PM says that today, April 24, is celebrated as ‘Panchayati raj’ diwas in our country. “It has helped reach democratic values in villages.”
‘जल क्रांति’ को ‘जन क्रांति’ बनाने की जरूरत : उमा भारती
Written by indiaonair, Jan 14, 2017, 0 Comments
केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने ‘जल क्रांति’ को ‘जन ‘क्रांति’ बनाने का आह्वान किया है। भारती ने नई दिल्ली में ‘जल मंथन-3’ का उद्घाटन करने के बाद समारोह को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि पानी बचाने की जिम्मेदारी अकेले सरकारी तंत्र की नही हो सकती बल्कि इस कार्य के लिए जन भागीदारी बहुत जरूरी है। साथ ही गैर सरकारी संगठनों के सहयोग की भी जरूरत है।
जल को बचाने के लिए नवाचारों का जिक्र करते हुए भारती ने कहा कि उनका मंत्रालय जल के प्रयोग एवं गंगा संरक्षण पर नया कानून लाने पर विचार कर रहा है। जल को समवर्ती सूची का विषय बनाये जाने पर उऩ्होंने कहा,-‘‘राज्यसभा और लोकसभा में जल को समवर्ती सूची में लाने की मांग उठी है। इस विषय पर राज्यों के साथ बातचीत कर रहे हैं। क्या संविधान की मर्यादाओं के अंतर्गत इस का कोई निदान निकाला जा सकता है? इस पर विचार चल रहा है।’’
केन – बेतवा परियोजना में आ रही बाधाओं एवं उनके समाधान का जिक्र करते हुए केद्रीय मंत्री ने कहा ‘‘केन- बेतवा परियोजना पर तेजी से काम चल रहा है। लेकिन एआईबीपी के तहत इसकी फंडिंग का अनुपात 60-40 निर्धारित हो गया है। हमारी जददोजहद है कि यह अनुपात या तो 100 प्रतिशत हो या 90-10 प्रतिशत हो।’’ उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस परियोजना पर 2017 के प्रारंभ में ही काम शुरू हो जायेगा एवं इसे सात साल के अंदर पूरा कर लिया जायेगा।
महानदी-गोदावरी नदी जोड़ो परियोजना पर हो रही राजनीति का जिक्र करते हुए भारती ने कहा कि मानस-संकोष-तीस्ता-गंगा-महानदी-गोदावरी देश की नदी जोडो परियोजनाओं का ‘मदर लिंक’ है। उन्होंने कहा-‘‘इस पर जो विरोध है वह राजनीतिक है। तर्क और बुनियादी आधार के बजाय यह भावनाओं पर आधारित विरोध है। इस परियोजना से ओडिशा, बिहार एवं बंगाल की सुखाड़ तथा बाढ़ की समस्याओं का समाधान होगा।’’
केंद्रीय मंत्री ने ‘पार-तापी नर्मदा’ एवं ‘दमनगंगा पिंजल’ नदी जोड़ो परियेाजनाओं से होने वाले लाभों का जिक्र करते हुए कहा कि ‘दमनगंगा पिंजल’ मुम्बई के लिए 2060 तक पीने के पानी की व्यवस्था करेगी और ‘पार-तापी नर्मदा’ महाराष्ट्र और गुजरात के उन आदिवासियों की प्यास बुझाएगी जो वर्षों से पानी की समस्या से जूझ रहे हैं।
गंगा संरक्षण पर हुए कार्यों की चर्चा करते हुए भारती ने कहा कि इस पर तेजी से कार्य चल रहा है और जो गंगा विश्व की दस सबसे प्रदूषित नदियों में शामिल होती थी वह आऩे वाले समय में निश्चित ही दुनिया की 10 स्वच्छ नदियों में शामिल होगी। जल संसाधन प्रबंधन के विभिन्न विषयों की चर्चा करते हुए केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि ‘जल उपभोक्ता संगठन’ कई राज्यों में ठीक से काम नहीं कर रहे हैं।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण राज्य मंत्री विजय गोयल ने कहा कि आने वाली पीढ़ियों के लिए जल संरक्षण समय की मांग है। उन्होंने कहा कि यह जरूरी नहीं है कि जल के जो प्राकृतिक संसाधन हमें अतीत में मिले हैं वह भविष्य में भी उपलब्ध हों। केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण राज्य मंत्री डॉ. संजीव बालियान ने दूषित जल प्रबंधन पर और अधिक ध्यान देने का आह्वान किया। उऩ्होंने कहा कि हमारे देश में बड़ी संख्या में जल का दुरूपयोग हो रहा है यदि इसका समुचित प्रबंधन कर लिया जाए तो इस बहुमूल्य प्राकृतिक संपदा को बचाया जा सकता है। मंत्रालय के सचिव डॉ. अमरजीत सिंह ने कहा कि हमें जल के प्रयोग की जिम्मेदारी तय करनी होगी ताकि इसका दुरूपयोग रोका जा सके। उन्होंने कहा कि इसके लिए जल संरक्षण के महत्व को समझने की संस्कृति विकसित करनी होगी।
इस एक दिवसीय सम्मेलन में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, नदी घाटी प्रबंधन, नदी संरक्षण और पारिस्थितिकी, बाढ़ प्रबंधन जल प्रयोग कुशलता और सहभागिता सिंचाई प्रबंधन जैसे विषयों पर व्यापक विचार-विमर्श हुआ। सम्मेलन में मंत्रालय की नीतियों को लोगों के प्रति ज्यादा मित्रवत बनाने और राज्यों की आवश्यकताओं के प्रति ज्यादा उत्तरदायी बनाने पर ध्यान दिया गया।
इस सम्मेलन में राज्यों एवं संघ शासित प्रदेशों के सिंचाई/जल संसाधन मंत्री, जल प्रबंधन क्षेत्र के प्रख्यात विशेषज्ञ, गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि और केंद्र एवं राज्य सरकारों के सभी संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों समेत करीब 700 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
उल्लेखनीय है कि जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने जल संसाधन विकास और प्रबंधन में जुड़े विभिन्न पक्षों के बीच व्यापक विचार विमर्श की आवश्यकता पर समय-समय पर बल दिया है ताकि जल संसाधन विकास को पर्यावरण, वन्य जीवों और विभिन्न सामाजिक एवं सांस्कृतिक पद्धतियों के साथ बेहतर ढ़ंग से जोड़ा जा सके। जल मंथन कार्यक्रमों का आयोजन इसी उद्देश्य से किया जाता है। नवंबर 2014 और फरवरी 2016 में आयोजित पहले दो जल मंथन कार्यक्रम बहुत सफल रहे हैं।
विश्व जल दिवस (World Water Day)
रियो डि जेनेरियो में 1992 में आयोजित पर्यावरण तथा विकास का संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCED) विश्व जल दिवस की पहल में की गई। 22 मार्च याने विश्व जल दिवस। पानी बचाने के संकल्प का दिन। पानी के महत्व को जानने का दिन और पानी के संरक्षण के विषय में समय रहते सचेत होने का दिन। आँकड़े बताते हैं कि विश्व के 1.5 अरब लोगों को पीने का शुद्ध पानी नही मिल रहा है। प्रकृति जीवनदायी संपदा जल हमें एक चक्र के रूप में प्रदान करती है, हम भी इस चक्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। चक्र को गतिमान रखना हमारी ज़िम्मेदारी है, चक्र के थमने का अर्थ है, हमारे जीवन का थम जाना। प्रकृति के ख़ज़ाने से हम जितना पानी लेते हैं, उसे वापस भी हमें ही लौटाना है। हम स्वयं पानी का निर्माण नहीं कर सकते अतः प्राकृतिक संसाधनों को दूषित न होने दें और पानी को व्यर्थ न गँवाएँ यह प्रण लेना आज के दिन बहुत आवश्यक है।
पानी के बारे में एक नहीं, कई चौंकाने वाले तथ्य हैं। विश्व में और विशेष रुप से भारत में पानी किस प्रकार नष्ट होता है इस विषय में जो तथ्य सामने आए हैं उस पर जागरूकता से ध्यान देकर हम पानी के अपव्यय को रोक सकते हैं। अनेक तथ्य ऐसे हैं जो हमें आने वाले ख़तरे से तो सावधान करते ही हैं, दूसरों से प्रेरणा लेने के लिए प्रोत्साहित करते हैं और पानी के महत्व व इसके अनजाने स्रोतों की जानकारी भी देते हैं।
• मुंबई में रोज़ वाहन धोने में ही 50 लाख लीटर पानी खर्च हो जाता है।
• दिल्ली, मुंबई और चेन्नई जैसे महानगरों में पाइप लाइनों के वॉल्व की खराबी के कारण रोज़ 17 से 44 प्रतिशत पानी बेकार बह जाता है।
• इज़राइल में औसतन मात्र 10 सेंटी मीटर वर्षा होती है, इस वर्षा से वह इतना अनाज पैदा कर लेता है कि वह उसका निर्यात कर सकता है। दूसरी ओर भारत में औसतन 50 सेंटी मीटर से भी अधिक वर्षा होने के बावजूद अनाज की कमी बनी रहती है।
• पिछले 50 वर्षों में पानी के लिए 37 भीषण हत्याकांड हुए हैं।
• भारतीय नारी पीने के पानी के लिए रोज ही औसतन चार मील पैदल चलती है।
• पानीजन्य रोगों से विश्व में हर वर्ष 22 लाख लोगों की मौत हो जाती है।
• हमारी पृथ्वी पर एक अरब 40 घन किलो लीटर पानी है। इसमें से 97.5 प्रतिशत पानी समुद्र में है, जो खारा है, शेष 1.5 प्रतिशत पानी बर्फ़ के रूप में ध्रुव प्रदेशों में है। इसमें से बचा एक प्रतिशत पानी नदी, सरोवर, कुओं, झरनों और झीलों में है जो पीने के लायक है। इस एक प्रतिशत पानी का 60 वाँ हिस्सा खेती और उद्योग कारखानों में खपत होता है। बाकी का 40 वाँ हिस्सा हम पीने, भोजन बनाने, नहाने, कपड़े धोने एवं साफ़-सफ़ाई में खर्च करते हैं।
• यदि ब्रश करते समय नल खुला रह गया है, तो पाँच मिनट में करीब 25 से 30 लीटर पानी बरबाद होता है।
• बाथ टब में नहाते समय 300 से 500 लीटर पानी खर्च होता है, जबकि सामान्य रूप से नहाने में 100 से 150 पानी लीटर खर्च होता है।
• विश्व में प्रति 10 व्यक्तियों में से 2 व्यक्तियों को पीने का शुद्ध पानी नहीं मिल पाता है।
• प्रति वर्ष 3 अरब लीटर बोतल पैक पानी मनुष्य द्वारा पीने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
• नदियाँ पानी का सबसे बड़ा स्रोत हैं। जहाँ एक ओर नदियों में बढ़ते प्रदूषण रोकने के लिए विशेषज्ञ उपाय खोज रहे हैं वहीं कल कारखानों से बहते हुए रसायन उन्हें भारी मात्रा में दूषित कर रहे हैं। ऐसी अवस्था में जब तक कानून में सख्ती नहीं बरती जाती, अधिक से अधिक लोगों को दूषित पानी पीने का समय आ सकता है।
• पृथ्वी पर पैदा होने वाली सभी वनस्पतियाँ से हमें पानी मिलता है।
• आलू में और अनन्नास में 80 प्रतिशत और टमाटर में 15 प्रतिशत पानी है।
• पीने के लिए मानव को प्रतिदिन ३ लीटर और पशुओं को 50 लीटर पानी चाहिए।
• 1 लीटर गाय का दूध प्राप्त करने के लिए 800 लीटर पानी खर्च करना पड़ता है, एक किलो गेहूँ उगाने के लिए 1 हजार लीटर और एक किलो चावल उगाने के लिए 4 हजार लीटर पानी की आवश्यकता होती है। इस प्रकार भारत में 83 प्रतिशत पानी खेती और सिंचाई के लिए उपयोग किया जाता है।
समय आ गया है जब हम वर्षा का पानी अधिक से अधिक बचाने की कोशिश करें। बारिश की एक-एक बूँद कीमती है। इन्हें सहेजना बहुत ही आवश्यक है। यदि अभी पानी नहीं सहेजा गया, तो संभव है पानी केवल हमारी आँखों में ही बच पाएगा। पहले कहा गया था कि हमारा देश वह देश है जिसकी गोदी में हज़ारों नदियाँ खेलती थी, आज वे नदियाँ हज़ारों में से केवल सैकड़ों में ही बची हैं। कहाँ गई वे नदियाँ, कोई नहीं बता सकता। नदियों की बात छोड़ दो, हमारे गाँव-मोहल्लों से तालाब आज गायब हो गए हैं, इनके रख-रखाव और संरक्षण के विषय में बहुत कम कार्य किया गया है।
पानी का महत्व भारत के लिए कितना है यह हम इसी बात से जान सकते हैं कि हमारी भाषा में पानी के कितने अधिक मुहावरे हैं। आज पानी की स्थिति देखकर हमारे चेहरों का पानी तो उतर ही गया है, मरने के लिए भी अब चुल्लू भर पानी भी नहीं बचा, अब तो शर्म से चेहरा भी पानी-पानी नहीं होता, हमने बहुतों को पानी पिलाया, पर अब पानी हमें रुलाएगा, यह तय है। सोचो तो वह रोना कैसा होगा, जब हमारी आँखों में ही पानी नहीं रहेगा? वह दिन दूर नहीं, जब सारा पानी हमारी आँखों के सामने से बह जाएगा और हम कुछ नहीं कर पाएँगे।
लेकिन कहा है ना कि आस का दामन कभी नहीं छूटना चाहिए तो ईश्वर से यही कामना है कि वह दिन कभी न आए जब इंसान को पानी की कमी हो।
लेकिन कहा है ना कि आस का दामन कभी नहीं छूटना चाहिए तो ईश्वर से यही कामना है कि वह दिन कभी न आए जब इंसान को पानी की कमी हो। विज्ञान और पर्यावरण के ज्ञान से मानव ने जो प्रगति की है उसे प्रकृति संरक्षण में लगाना भी ज़रूरी है। पिछले सालों में तमिलनाडु ने वर्षाजल संरक्षण कर जो मिसाल कायम की है उसे सारे देश में विकसित करने की आवश्यकता है।
साभार – अभिव्यक्ति हिन्दी
'विश्व जल दिवस' मनाने की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 1992 के अपने अधिवेशन में 22 मार्च को की थी। 'विश्व जल दिवस' की अंतरराष्ट्रीय पहल 'रियो डि जेनेरियो' में 1992 में आयोजित 'पर्यावरण तथा विकास का संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन' (यूएनसीईडी) में की गई थी, जिस पर सर्वप्रथम 1993 को पहली बार 22 मार्च के दिन पूरे विश्व में 'जल दिवस' के मौके पर जल के संरक्षण और रख-रखाव पर जागरुकता फैलाने का कार्य किया गया।
साभार - भारत डिस्कवरी.ओआरजी
Tags
World Water Day information in Hindi, Essay on World Water Day in Hindi, Information about World Water Day in Hindi, Free Content on World Water Day information in Hindi, World Water Day information (in Hindi), Explanation World Water Day in India in Hindi, Vishwa Jal Diwas in Hindi, Hindi nibandh on World Water Day, quotes on World Water Day in hindi, World Water Day Hindi meaning, World Water Day Hindi translation, World Water Day information Hindi pdf, World Water Day information Hindi, quotations Bishwa Jala Diwas Hindi, World Water Day information in Hindi font, Impacts of World Water Day Hindi, Hindi ppt on World Water Day information, essay on Vishwa Jala Diwas in Hindi language, essay on World Water Day information Hindi free, formal essay on Vishwa Jala Diwash, essay on World Water Day information in Hindi language pdf, essay on World Water Day information in India in Hindi wiki, short essay on World Water Day information in Hindi, Vishwa Jala Diwas essay in hindi font, topic on World Water Day information in Hindi language, information about World Water Day in hindi language, essay on World Water Day information and its effects, essay on World Water Day in 1000 words in Hindi, essay on World Water Day information for students in Hindi,
पानी के बारे में एक नहीं, कई चौंकाने वाले तथ्य हैं। विश्व में और विशेष रुप से भारत में पानी किस प्रकार नष्ट होता है इस विषय में जो तथ्य सामने आए हैं उस पर जागरूकता से ध्यान देकर हम पानी के अपव्यय को रोक सकते हैं। अनेक तथ्य ऐसे हैं जो हमें आने वाले ख़तरे से तो सावधान करते ही हैं, दूसरों से प्रेरणा लेने के लिए प्रोत्साहित करते हैं और पानी के महत्व व इसके अनजाने स्रोतों की जानकारी भी देते हैं।
• मुंबई में रोज़ वाहन धोने में ही 50 लाख लीटर पानी खर्च हो जाता है।
समय आ गया है जब हम वर्षा का पानी अधिक से अधिक बचाने की कोशिश करें। बारिश की एक-एक बूँद कीमती है। इन्हें सहेजना बहुत ही आवश्यक है। यदि अभी पानी नहीं सहेजा गया, तो संभव है पानी केवल हमारी आँखों में ही बच पाएगा। पहले कहा गया था कि हमारा देश वह देश है जिसकी गोदी में हज़ारों नदियाँ खेलती थी, आज वे नदियाँ हज़ारों में से केवल सैकड़ों में ही बची हैं। कहाँ गई वे नदियाँ, कोई नहीं बता सकता। नदियों की बात छोड़ दो, हमारे गाँव-मोहल्लों से तालाब आज गायब हो गए हैं, इनके रख-रखाव और संरक्षण के विषय में बहुत कम कार्य किया गया है।
पानी का महत्व भारत के लिए कितना है यह हम इसी बात से जान सकते हैं कि हमारी भाषा में पानी के कितने अधिक मुहावरे हैं। आज पानी की स्थिति देखकर हमारे चेहरों का पानी तो उतर ही गया है, मरने के लिए भी अब चुल्लू भर पानी भी नहीं बचा, अब तो शर्म से चेहरा भी पानी-पानी नहीं होता, हमने बहुतों को पानी पिलाया, पर अब पानी हमें रुलाएगा, यह तय है। सोचो तो वह रोना कैसा होगा, जब हमारी आँखों में ही पानी नहीं रहेगा? वह दिन दूर नहीं, जब सारा पानी हमारी आँखों के सामने से बह जाएगा और हम कुछ नहीं कर पाएँगे।
लेकिन कहा है ना कि आस का दामन कभी नहीं छूटना चाहिए तो ईश्वर से यही कामना है कि वह दिन कभी न आए जब इंसान को पानी की कमी हो।
लेकिन कहा है ना कि आस का दामन कभी नहीं छूटना चाहिए तो ईश्वर से यही कामना है कि वह दिन कभी न आए जब इंसान को पानी की कमी हो। विज्ञान और पर्यावरण के ज्ञान से मानव ने जो प्रगति की है उसे प्रकृति संरक्षण में लगाना भी ज़रूरी है। पिछले सालों में तमिलनाडु ने वर्षाजल संरक्षण कर जो मिसाल कायम की है उसे सारे देश में विकसित करने की आवश्यकता है।
जल दिवस का प्रारम्भ
'विश्व जल दिवस' मनाने की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 1992 के अपने अधिवेशन में 22 मार्च को की थी। 'विश्व जल दिवस' की अंतरराष्ट्रीय पहल 'रियो डि जेनेरियो' में 1992 में आयोजित 'पर्यावरण तथा विकास का संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन' (यूएनसीईडी) में की गई थी, जिस पर सर्वप्रथम 1993 को पहली बार 22 मार्च के दिन पूरे विश्व में 'जल दिवस' के मौके पर जल के संरक्षण और रख-रखाव पर जागरुकता फैलाने का कार्य किया गया।
साभार - भारत डिस्कवरी.ओआरजी
Tags
World Water Day information in Hindi, Essay on World Water Day in Hindi, Information about World Water Day in Hindi, Free Content on World Water Day information in Hindi, World Water Day information (in Hindi), Explanation World Water Day in India in Hindi, Vishwa Jal Diwas in Hindi, Hindi nibandh on World Water Day, quotes on World Water Day in hindi, World Water Day Hindi meaning, World Water Day Hindi translation, World Water Day information Hindi pdf, World Water Day information Hindi, quotations Bishwa Jala Diwas Hindi, World Water Day information in Hindi font, Impacts of World Water Day Hindi, Hindi ppt on World Water Day information, essay on Vishwa Jala Diwas in Hindi language, essay on World Water Day information Hindi free, formal essay on Vishwa Jala Diwash, essay on World Water Day information in Hindi language pdf, essay on World Water Day information in India in Hindi wiki, short essay on World Water Day information in Hindi, Vishwa Jala Diwas essay in hindi font, topic on World Water Day information in Hindi language, information about World Water Day in hindi language, essay on World Water Day information and its effects, essay on World Water Day in 1000 words in Hindi, essay on World Water Day information for students in Hindi,
No comments:
Post a Comment